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मंदिर समिति भाँगला

मेरा गाँव मेरा सहयोग का उद्देश्य

हम सभी गैरोला बन्धुओं की आस्था का केन्द्र हमारी कुलदेवी माँ गौरजा देवी एवं हम सभी के कुलदेवता भगवान नागराज के प्रति सदा सच्चे व समर्पित भाव से एकजुट होकर कार्य करना।

पहाड़ों की संस्कृति, संस्कार, रीति-रिवाज़ जैसे- गाँव का मेला (थ्वल), भंडारा, रामलीला का मंचन एवं जात्रा इत्यादि गाँव से लोगों के पलायन के कारण लगभग समाप्ति की ओर तेजी से अग्रसर है। इनके बचाव एवं विकास हेतु एक वार्षिक आयोजन कर एक उचित मंच एवं माध्यम उपलब्ध कराना।

हमारे गैरोला बन्धुओ के बीच जो भी ऊर्जावान, यशस्वी एवं तेजस्वी कुशल क्षमतावान, विवेकशील युवापीढ़ी एवं बुर्जुगों के मार्गदर्शन, क्षमता एवं कुशलता का सद्उपयोग करके अपने पूर्वजों के कर्मभूमि व जन्मभूमि में निरन्तर सहयोग कर अपना अमूल्य योगदान देना भी हमारा एकमात्र उद्देश्य है।

विचारों की भिन्नता होने पर भी एकता का उत्तम उदाहरण प्रस्तुत करना। आपसी मेलजोल, प्रेमभाव से गाँव के सर्वागिण विकास को सर्वोपरि मानना। 5 गाँव के विकास में अपना यथासम्भव सहयोग कर राष्ट्र निर्माण में भागीदारी सुनिश्चित करना।

Mr Dinesh Prasad Gairola

Mentor

मंदिर समिति भाँगला उक्त सभी परिस्थितियों, बातों व हालातों के मद्देनज़र एक नई सोच ’’मेरा गाँव मेरा सहयोग’’ के साथ आगे बढ़ रही है। जिसका उद्देश्य हमारे आस्था के केन्द्र हमारे कुलदेवी माँ गौरजा देवी एवं हमारे कुलदेवता भगवान नागराज के दरबार में वार्षिक, सांस्कृतिक एवं संस्कृति से जुड़ें कार्यक्रमों का आयोजन कर सभी गैरोला भाई-बन्धुओं को एकजुट कर आपसी भाईचारें एवं मेलजोल को बढ़ाना।

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Mr. Rajendra Prasad Gairola

President

हमनें माना कि पहाड़ में पहाड़ों जैसी चुनौतियाँ है। परन्तु यहाँ हमारी कुलदेवी एवं कुलदेवता का वास है। हमारा गाँव हमारे पुर्वजों की कर्मभूमि व जन्मभूमि रही है। यह हम सभी के आस्था का केन्द्र भी है। ग्राम भाँगला हमारे संस्कारों, संस्कृति, व पहचान की उत्पत्ति का केन्द्र भी यही है। आज के आधुनिक युग में सुख-सुविधा एवं उत्तम आजीविका के तलाश में लगभग सभी ग्रामवासियों को अपनी जड़ों से मजबूरीवश दूर होना पड़ा है।

जिसके परिणामस्वरूप गाँव की वादियाँ, खेतखलियान विरान हो गये है। आज आजीविका, जीवनयापन एवं उत्तम भविष्य की तलाश में हमारे गैरोला भाई-बन्धु देश व विदेश के विभिन्न हिस्सों में बस गये है। जिससे उनकी भावी पीढ़ी वहाँ की बोली-भाषा व संस्कारों में घुल मिल गये है। यह भी एक सामान्य प्रक्रिया है। जिसका होना स्वभाविक हैं। परन्तु इससे एक बात की जो क्षति हो रही हैं वो यह है कि हम अपने संस्कारों एवं संस्कृति से धीरे-धीरे जाने अनजाने दूर होते जा रहे है। आज संयुक्त परिवार की परम्परा विलुप्त हो रही है। पहाड़ों की संस्कृति, संस्कार, रीति-रिवाज़ जैसे- गाँव का मेला (थ्वल), भंडारा, रामलीला का मंचन एवं जात्रा इत्यादि लगभग समाप्ति की ओर तेजी से अग्रसर है। यह ऐसे कार्यक्रम थे जो हम सभी गैरोला बन्धुओं को आपसी विचारों में मतभेद के बावजूद सभी को एकसूत्र में जोड़े रखते थे। इनके कारण हमारे बीच आपसी समन्वय, एकदूजे के प्रति समर्पण की भावना व भाईचारा बना रहता था। हमारी अपने गाँव से निरंतर बढ़ती दूरी के कारण हम अपने परिवार के वर्तमान एवं पिछली पीढ़ी के लोगों को भी नहीं पहचान पाते है। जिसका मूल कारण मेल-मिलाप के सीमित व्यवस्थाएँ एवं उचित मंच का उपलब्ध ना होना भी एक कारण है। जिसके परिणामस्वरूप मैं और मेरा परिवार की सोच की प्रवृति निरन्तर वर्तमान में बढ़ रही है। मंदिर समिति भाँगला उक्त सभी परिस्थितियों, बातों व हालातों के मद्देनज़र एक नई सोच ’’मेरा गाँव मेरा सहयोग’’ के साथ आगे बढ़ रही है। जिसका उद्देश्य हमारे आस्था के केन्द्र हमारे कुलदेवी माँ गौरजा देवी एवं हमारे कुलदेवता भगवान नागराज के दरबार में वार्षिक, सांस्कृतिक एवं संस्कृति से जुड़ें कार्यक्रमों का आयोजन कर सभी गैरोला भाई-बन्धुओं को एकजुट कर आपसी भाईचारें एवं मेलजोल को बढ़ाना। अपने बुर्जुर्गों के मार्गदर्शन व आशीष प्राप्त करना तथा भावी पीढ़ी के साथ उनकी क्षमता व योग्यता का उपयोग करके एक उत्तम तालमेल बनाना। हमारे गैरोला बन्धुओ के बीच जो भी ऊर्जावान, यशस्वी एवं तेजस्वी कुशल क्षमतावान, विवेकशील युवापीढ़ी एवं बुर्जुगों के विचारों मार्गदर्शन, क्षमता एवं कुशलता का सद्उपयोग करके अपने पूर्वजों के कर्मभूमि व जन्मभूमि में निरन्तर सहयोग कर अपना अमूल्य योगदान देना भी हमारा एकमात्र उद्देश्य है। ’’मेरा गाँव मेरा सहयोग’’ की भावना/सोच को यदि हम सभी ग्रामवासियों के बीच उत्पन्न करने में सफल हुए तो सभी के सहयोग से हम ग्राम भाँगला को एक उत्तम ग्राम बनाने का उदाहरण प्रस्तुत कर सकते है। हमारा मानना है कि गाँव का विकास का अर्थ है राष्ट्र का विकास।